शनि ग्रह को हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जिसके दोष व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की संघर्षों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। शनि के दोष को निवारण करने के लिए शनि दोष निवारण पूजा एक प्रमुख उपाय है। इस पूजा के माध्यम से अनुभवी पंडित या पुरोहित शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए विशेष उपाय और मंत्रों का आयोजन करते हैं। यह पूजा शनि के दोषों को कम करने और उनके प्रभाव को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।
शनि का दोष:
शनि ग्रह को धर्म और कर्म का कर्ता माना जाता है। शनि के दोष के कुछ मुख्य कारण हैं जैसे कि शनि की गोचर दशा, शनि के साथ अनुक्रमण, शनि की गोचर की अशुभ अवस्था, शनि की अशुभ स्थिति आदि। ये दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, आर्थिक अस्थिरता, कर्म संबंधी कठिनाइयाँ, और सामाजिक संबंधों में कठिनाई।
शनि दोष निवारण पूजा:
शनि दोष निवारण पूजा का मुख्य उद्देश्य शनि के दोषों को नियंत्रित करना है और उनके प्रभाव को कम करना है। इस पूजा का आयोजन विशेष तरीके से शनि के शुभ ग्रह बुद्धि और समर्पण को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह पूजा विभिन्न शास्त्रीय पाठ, मंत्र, और हवन के माध्यम से की जाती है जो शनि के प्रभाव को शांत करने में मदद कर सकते हैं।
पूजा की विधि
- स्नान (शुद्धिकरण): पूजा के पहले व्यक्ति को स्नान करना चाहिए। यह शुद्धि का संकेत है और अच्छे भावनात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है।
- पूजा सामग्री का तैयारी: पूजा के लिए सामग्री की तैयारी करें जैसे कि धूप, दीप, फल, फूल, नैवेद्य, आदि।
- पूजा की आरम्भिक अवधि: पूजा की शुरुआत में गणपति पूजन करें और शनि मंत्रों का उच्चारण करें